यह पुस्तक व्यवसाय से लेकर खेल तक किसी भी प्रतिस्पर्धी गतिविधि में सफलता की राह दिखाती है।
- एशियन रिव्यू ऑ़फ बुक्स
द आर्ट ऑफ़ वॉर संसार का सबसे पुराना सैन्य ग्रंथ है। इसे 2,500 साल पहले लिखा गया था, लेकिन यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना कि तब था। सेल्समैनशिप हो या कारोबार, आप चाहे किसी भी क्षेत्र में हों, अगर आपके सामने कोई प्रतिस्पर्धी है जिसे हराकर आप जीतना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपकी मदद कर सकती है।• फ्रांस के सम्राट नेपोलियन ने सुन त्ज़ू की इस पुस्तक को पढ़ा था और युद्ध में इसका इस्तेमाल किया था।
• साम्यवादी चीनी नेता माओ जे दॉन्ग ने 1949 में चियांग काई-शेक पर अपनी विजय का श्रेय इस पुस्तक को दिया था।
• वियतनाम में जनरल गियाप ने इसी पुस्तक के सिद्धांतों पर चलकर फ्रांसीसी और अमेरिकी सेनाओं पर विजय हासिल की थी। वियतनाम में अमेरिका की हार के बाद ही सुनत्ज़ू की इस पुस्तक पर अमेरिकी सैन्य अधिकारियों का ध्यान गया।
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चीनी सेनापति, रणनीतिकार और दार्शनिक सुन त्ज़ू के जीवन के बारे में ज़्यादा प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती है, लेकिन माना जाता है कि वे लगभग 500 र्इ.पू. में चीन में रहते थे और उन्होंने वू के राजा हो लू के लिए आर्ट ऑफ़ वॉर 13 अध्यायों में लिखी थइस पुस्तक के बारे में दो अटकलें लगार्इ जाती हैं।
पहली यह कि वे वू के राजा के सेनापति व रणनीतिकार थे और उन्होंने बहुत से युद्ध जीतने के बाद द आर्ट ऑफ़ वॉर पुस्तक लिखी।दूसरी यह कि यह पुस्तक लिखने से पहले सुन त्ज़ू शांत और एकाकी जीवन जीते थे तथा उनके समकालीन उनके रणनीतिक कौशल व योग्यता के बारे में कुछ नहीं जानते थे। फिर उन्होंने द आर्ट ऑफ़ वॉर पुस्तक लिखी। जब वू के राजा ने यह पुस्तक पढ़ी, तो वे इसके सिद्धांतों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सुन त्ज़ू को अपना रणनीतिकार और सेनापति बना लिया।
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